1. पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1909 में कौनसा समाचार-पत्र प्रारंभ किया ?
उत्तर: लीडर
2. किस क्रांतिकारी ने इंग्लैण्ड में क्रांतिकारी गतिविधियों के आरंभिक केंद्र के रूप में इंडियन होमरूल सोसाइटी की शुरुआत की ?
उत्तर: श्यामजी कृष्ण वर्मा ने
3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आवाड़ी अधिवेशन(1955) में 'समाज के समाजवादी ढाँचे' को औपचारिक रूप में स्वीकार किया गया । इस अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की ?
उत्तर: यू. एन. ढेबर ने
4. 1906 में स्वराज को राष्ट्रीय आन्दोलन का लक्ष्य घोषित करने वाले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष कौन थे ?
उत्तर: दादाभाई नौरोजी
5. किसके विरुद्ध महात्मा गाँधी का सत्याग्रह के लिये आह्वान उनका अखिल भारतीय संघर्ष के नेतृत्व का सर्वप्रथम प्रयास था ?
उत्तर: रॉलट एक्ट के विरुद्ध
6. मार्च 1925 में किसे केन्द्रीय लेजिस्लेटिव का अध्यक्ष चुना गया ?
उत्तर: विट्ठल भाई पटेल को
7. 'व्हाई सोशलिज्म नामक पुस्तक किस स्वतंत्रता सेनानी की कृति है ?
उत्तर: जयप्रकाश नारायण की
8. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सन्दर्भ में दूसरे गोलमेज सम्मलेन में भारत की महिला प्रतिनिधि के रूप में किसने भाग लिया ?
उत्तर: सरोजनी नायडू ने
9. 1936 में 'इन्डिपेंडेंट लेबर पार्टी' की स्थापना किसने की थी ?
उत्तर: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने
10. कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन(1936) में अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना की गयी । इसका प्रथम अध्यक्ष किसे चुना गया ?
उत्तर: स्वामी सहजानन्द सरस्वती को
वन्दे मातरम्
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं ई-गुरु राजीव हार्दिक स्वागत करता हूँ.
मेरी इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए. यह ब्लॉग प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.
यदि कोई सहायता चाहिए तो खुलकर पूछें यहाँ सभी आपकी सहायता के लिए तैयार हैं.
शुभकामनाएं !
"टेक टब" - ( आओ सीखें ब्लॉग बनाना, सजाना और ब्लॉग से कमाना )
जिन्दा लोगों की तलाश!
जवाब देंहटाएंमर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
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सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
स्वागत!
जवाब देंहटाएंउत्तम एवं महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिये धन्यवाद!